चाँद :: चारोळी
दोन चंद्र येता जवळी
नभ रंगाने येई फुलुनी
बघणारा ही होई स्तंभित
कोणाच्या वर तो झाला मोहित।
आपसे रोशनी लेकर
और निखर आया चाँद
इसलिए तो आसमान
जगमगा उठा हैं आज।
चाँद और चाँदनी
सब नजरोंका खेल है
मोहोब्बत का नूर है
वरना जिंदगी बेकार हैं।
- Varsha Hemant Phatak
« Prev
Next
»