गझल


हाथ थामा है तुम्हारा सपनेमे कईबार
होश मे आनेसे डरता हूँ
रुह जानती है कि तुम रुबरु हो

एहसास का भी अपना अपना
सलीका होता हैं।

दुनिया ने जिने के नए अंदाज सिखाए
कश्मकशोंका दौर बेखुदी में गुजरा
ठुकरा देनेका अंदाज काबिल - ए - तारीफ था

बर्दाश्त करनेका भी अपना अपना सलीका होता है।

आज नींद भी रुसवाॅ हुई है
मिलनेकी तमन्ना ही ख्वाब बन गईं है
सोचता हूँ हमेशा के लिए सो जाऊँ

जुदाई का भी अपना अपना सलीका होता है।

खौंफ नही है मौत का
डर तो तुझसे बिछड़ने का है
पता नही लौटकर आऊंगा के नही

वादा निभानेका भी अपना अपना सलीका होता है।

जाने के बाद भी एक उम्मीद रहेगी
एक अश्क तो मेरे नाम होगा
भूला देने की आदत से
वाकिफ़ हैं हम

शुक्रगुज़ारी का भी अपना अपना सलीका होता है।

वर्षा हेमंत फाटक, पुणे

- Varsha Hemant Phatak





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